बाबा रामदेव की सफलता की कहानी
बाबा रामदेव और आचार्य बालाकृष्णन की कंपनी पतंजलि उपभोक्ता उत्पादों (consumer products) के मामले में तेजी से भारत की सबसे बढ़ी कंपनी बनने की ओर अग्रसर है, लेकिन पतंजलि को यह सफलता रातो रात नहीं मिली बल्कि इसके पीछे बाबा रामदेव और आचार्य बालाकृष्णन की कई सालो की कड़ी मेहनत, विश्वास और अनुशासन का नतीजा है.
1995 में बाबा रामदेव और आचार्य बालाकृष्णन ने मिलकर दिव्य फार्मेसी (divya pharmecy) की शुरुआत की. शुरुआत में ये कंपनी आयुर्वेदिक और हर्बल दवाईया बनाती थी, धीरे धीरे ये दवाइयां लोगो के बीच लोकप्रिय होने लगी, इसी समय बाबा रामदेव एक योग गुरु के रूप में भी लोकप्रिय हो रहे थे. इसके चलते ramdev और balakrishnan दूसरे उत्पादों में भी पैर रखना चाहते थे, लेकिन दिव्य pharmecy के एक ट्रस्ट के अन्दर रजिस्टर होने के चलते यह मुश्किल था. रामदेव और आचार्य बालाकृष्णन ने लोन लेकर 2006 में पतंजलि आयुर्वेद की शुरुआत की और रामदेव और आचार्य बालाकृष्णन विभिन्न तरह के उपभोक्ता उत्पाद बनाने लगे,
एक समय था जब दिव्य फार्मेसी की स्थापना के वक्त इसे रजिस्टर करवाने के लिए baba ramdev और balakrishnan के पास पैसो की कमी थी. 1995 से लेकर 1998 तक बाबा रामदेव दवाइयां मुफ्त में बांटा करते थे, वे खुद ही कच्चा माल खरीदते और उसे कूट के दवाइयाँ तैयार करते थे. बाबा रामदेव ने देश में योगा और आयुर्वेद का प्रचार किया जिसके चलते आयुर्वेदिक दवाइयों के प्रति लोगो में रूचि और विश्वास जगा और वे फिर से प्राचीन भारतीय संस्कृति योगा और आयुर्वेद की तरफ मुड़े. बाबा रामदेव को योग गुरु भी कहा जाता है और योगा और आयुर्वेद का प्रचार उन्होंने टीवी के माध्यम से किया उनका प्रोग्राम विभिन्न राष्ट्रिय चैनलो पर प्रसारित होता है, उनके योग से बढ़े बढ़े रोग ठीक होने लगे और बाबा रामदेव घर घर तक लोकप्रिय हो गए और पतंजलि के प्रोडक्ट्स की तरफ लोगो का विश्वास जगा.
पतंजलि की विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को टक्कर
पतंजलि की सफलता में विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किसी चुनौती से कम नहीं थी, क्योकि बाजार पर इन्होने पहले से ही कब्ज़ा करके रखा था, बाबा रामदेव ने इनके विरुद्ध स्वदेशी का अभियान चलाया. पतंजलि उत्पादों की कम कीमत ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा में अहम योगदान दिया. बाबा रामदेव का कहना है की भारत का पैसा भारत से बाहर नहीं जाना चाहिए. उनका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना नहीं था, क्योकि रोगियों से लाभ कमाना आयुर्वेद के दर्शन के खिलाफ था. इसके अलावा पतंजलि के मजबूत डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क और ब्रांड स्ट्रेटेजी का भी कंपनी की सफलता में अहम योगदान रहा.
ये आचार्य बालाकृष्णन और रामदेव की मेहनत का नतीजा ही था की पतंजलि 2015-2016 के वित्तीय वर्ष में कंपनी का कारोबार 5000 करोड़ रूपए से ज्यादा का रहा. पतंजलि ने बड़ी-बड़ी कंपनियों यूनीलिवर, p&g, नेस्ले और कोलगेट जैसी कंपनियों को पछाड़ दिया. कंपनी 5000 करोड़ रूपए का टर्नओवर पार कर चुकी है और अब इसका पच्चास हजार करोड़ रूपए का लक्ष्य है.
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